(प्रकाशित, वागर्थ अंक-20, मई 1996)
पृथ्वी के कुछ मानव पृथ्वी पर
खींचते हैं सीमा रेखाएं
बांट देते हैं लोगों को
और करते हैं उन पर शासन
बताते हैं-
पृथ्वी के कुछ मानव पृथ्वी पर
खींचते हैं सीमा रेखाएं
बांट देते हैं लोगों को
और करते हैं उन पर शासन
बताते हैं-
जरूरी है तुम्हारी रक्षा के लिए
परमाणु परीक्षण
सैनिक खर्च पर बढ़ोत्तरी
इस तरह दूसरे देशों को
डराने धमकाने का सिलसिला जारी रहता है।
जबकि
पृथ्वी के बहुत देशों के
बहुत-बहुत मानव
तोड़ते हैं सीमा रेखाएं
पहुंचते हैं पृथ्वी के किसी कोने में
बनाते हैं अपनी कर्म-भूमि
समर्पित कर देते हैं जीवन
और प्रमाणित कर देते हैं-
ब्रह्माण्ड में पृथ्वी एक घर है।
फ्रांस में जब परमाणु परीक्षण होता है
तब रिएक्टर स्केल पर न केवल फ्रांस कांपता है
न सिर्फ चीन
और न ही दुनिया के वे पचास देश
जो परमाणु शक्ति पर इतराते हैं
बल्कि पूरी पृथ्वी कांपती है।
पृथ्वी पर कुछ लोगों के लिए
पृथ्वी एक घर कभी नहीं रहा
और साहेबान तमाशा देखिए
कि जिनके पास परमाणु शक्ति है
वे ही नाटक रच रहे हैं
पृथ्वी को बचाने का
ये शांति-दूत हैं, विश्व-शांति के पहरेदार!
पृथ्वी पर बहुत-बहुत
कवि हैं, कलाकार हैं
बुद्धिजीवियों की बाढ़ है
सीमा-रेखा खींचने वालों की चपेट में
रोते-बिलखते सीधे-सादे
रिफ्यूजियों की पूरी पलटन है
जो पृथ्वी को एक घर समझते हैं
युद्ध में मारे गए लोगों के प्रति आंसू बहाते हैं
और चाहते हैं कि
विज्ञान के इस युग में - जबकि
जबकि स्विच ऑन करते ही
एक देश दूसरे से
हाथ मिलाने की स्थिति में हो
बांधा जाए पूरी पृथ्वी को एक परिवार में
और तोड़ी जाए सीमाएं
समझा जाय पृथ्वी को ब्रह्माण्ड का एक छोटा-सा घर।
परंतु बीसवीं सदी के अंतिम इतिहास में
आधुनिकता केवल हल्ला ही हल्ला है
पृथ्वी के कुछ मानवों के लिए
जिनकी खोपड़ी में बंद है
विध्वंस के कई-कई रहस्य
उनके आगे पूरी मानवता असहाय है
यह इस सदी की
सबसे बड़ी दुर्घटना है।
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