Monday 5 December 2011

गाजर मूली की लड़ाई (हास्य बाल एकांकी)

रंग-संकेत   
मुख्य पात्र- गाजर (छात्र), मूली (छात्रा), लौकी मैम (शिक्षिका), बैंगन स‌रकार (मॉनिटर), कुम्हड़ा, स‌हजन, मिर्ची, नेपथ्य स‌े ।
स्थान-सब्जी इंगलिश स्कूल (मंच पर एक स‌ाइन बोर्ड)
नेपथ्य स‌े- (अब हम आप स‌बको एक ऎसे स्कूल ले चल रहे हैं जिसका नाम है स‌ब्जी इंगलिश स्कूल जहां के  छात्र-छात्राएं स‌ब्जी हैं। ये लोग भी आप ही के जैसे हैं जो आपस में खूब लड़ते हैं, पर बड़े प्यारे हैं। आज आपको ये खूब हंसाएंगे, इतना कि हंसते-हंसते पेट फूल जाए। तो शांति स‌े एकांकी का भरपूर मजा लेने चलते हैं-सब्जी इंगलिश स्कूल।)
(स्कूल लगने की घंटी बजती है। पर्दा खुलता है। इधर-उधर घूम रहे छात्र स‌ब अपनी-अपनी जगह बैठ जाते हैं। मॉनिटर क्लास का माइंड करने लगता है। गाजर-मूली आपस में बैग रखने को लेकर लड़ने लगते हैं तो मॉनिटर उनका नाम बोर्ड में लिख देता है। तभी लौकी मैम का प्रवेश।)


छात्र- गुड मॉर्निंग लौकी मैम....।
मैम-गुड मॉर्निंग स्टूडेंट्स, स‌ीट डाउन। इतना शोर क्यों हो रहा था?
छात्र-(बड़ी नम्रताके स‌ाथ) सॉरी लौकी मैम....।
मैम- ओके..ओके। मैं अटेंडेंस् लेने जा रही हूं। कृपया ध्यान दीजिएगा।
1.कुमड़ो बनर्जी.......(उत्तर नहीं मिलने पर जोर स‌े)....कुमड़ो बनर्जी....(नींद स‌े जागते हुए)..यस मैम।
स‌ो रहे थे क्या? पहले पीरियड स‌े ही स‌ोने लगे।..स्टूपीड। बैठो।
2.टमाटर लाल (यस मैम)
3.गाजर स‌िंह (प्रेजेंट मैम)
4.मूली चटपटी (उपस्थित)
5.करेला ढोलक वाला (एक छात्र- वो ढोलक बजाने गया)
6.पटल मजूमदार (यस मैम)
7.चुकंदर खान (एबसेंट)
8.स‌हजन लाठी वाला (यस मिस)
9.भिंडी भुजिया वाला (एबसेंट)
10.मिर्ची हरिहरण (प्रेजेंट)
11.आलू पाताल वासी ...2...(अभी तो यहीं था......तभी बेंच के नीचे स‌े निकलता है।..मैम पूछती हैं...नीचे क्यों छुपा था?..मैं तो जमीन के अंदर ही रहता हूं।...छात्र हंसने लगते हैं।)
12. बैंगन स‌रकार (यस मैम)


लौकी मैम- (डांटते हुए)  हू इज मॉनिटर?...बोर्ड पर गाजर मूली का नाम क्यों आया?
बैंगन स‌रकार- अइयो...मैम दोनों बैग रखने को लेकर कब स‌े लड़ रहे हैं। मां-बाप, कुल-खानदान किसी को नहीं छोड़ा। दोनों अपना-अपना गुण बता एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हुए हैं। मेरी तो कोई स‌ुनता ही नहीं।


नेपथ्य स‌े- मैम को मॉनिटर ने दोनों की लड़ाई का जो विवरण स‌ुनाया वह इस प्रकार स‌े है। अब आप लड़ाई का असली मजा उन्हीं के मुख स‌े लें।


गाजर- (धमकाते हुए) चल हट, जगह तेरे बाप की है? घसक नहीं तो मार के लाल कर दूंगा।
मूली- बड़ा आया लाल करने वाला। मैं लाल क्यों होने जाऊं? हर हालत में मैं तो स‌फेद ही रहूंगी। मैं हाथा-पायी में विश्वास नहीं करती। जबान की लड़ाई लड़। तेरे कुछ अच्छे गुण भी हैं या यूं ही हेकड़ी दिखाता फिरेगा?
गाजर- गुण पूछ रही है।....ही..ही.ही...। अरे! जानती नहीं कि मैं विटामिन ए का मालिक हूं। लोग मुझे खा-खाकर अपनी आंखों की रोशनी बढ़ा लेते हैं। यदि किसी को रात में कम दिखाई देने लगे तो बस मुझे आजमाए। मुझे खूब खाए, फिर देखिए मैं कैसे उसकी दृष्टि बढ़ा दूंगा।...अब तू बता...विटामिन ए की मालकिन है तू?
मूली- बड़ा घमंड है तूझे अपने ऊपर? भले मुझमें विटामिन ए नहीं मिलता, पर मैं भी आंखों को तंदरुस्त रखने में मददगार हूं। विटामिन बी-1, बी-2 द्वारा मैं भी आंखों को ठीक रखती हूं।
गाजर- ये विटामिन तो मुझमें भी होते हैं। इस प्रकार तू मेरी बराबरी नहीं कर स‌कती। लड़की है तो लड़की बनकर रह। लड़का बनने की कोशिश न कर।
मूली- अब लड़का-लड़की का स‌वाल कहां स‌े आ गया? अब तो हम स‌ब बराबर हैं। बल्कि  लड़कियां तो हर क्षेत्र में लड़कों स‌े आगे निकल रही हैं। खबर-वबर स‌ुनता भी है कि नहीं?...चल अब अपना अगला गुण बता।
गाजर- मुझमें विटामिन स‌ी होता है। जब कोई खेलता-कूदता है और कहीं कट-फट जाता है तो बहते खून को मैं जमाने में मदद करता हूं।
मूली- यह काम तो मैं भी करती हूं। विटामिन स‌ी तो मानव स‌माज को मैं भी देती हूं।


नेपथ्य स‌े-कुम्हड़ा बड़ी देर स‌े लड़ाई स‌ुन रहा था। स‌ब यही स‌ोच रहे थे कि वह ऊंघ रहा है, पर वह तो लड़ाई का मजा ले रहा था। उठकर आया और दोनों में स‌ुलह कराने की दृष्टि स‌े बोला...


कुम्हड़ा- तुम दोनों ही महान हो। तुम दोनों ही मनुष्य जाति की हड्डी को मजबूत करते हो। उनकी आंखों को ठीक रखते हो। त्वचा को स‌ुंदर बना उन्हें निखार देते हो।....अब बैठो भी....नहीं तो डायरी में जेनरल रिमार्क्स आ जाएगा।
(वैंगन कुम्हड़ा को अपने जगह जाने का आदेश देता है।)


नेपथ्य स‌े- पर दोनों पर बेचारे कुम्हड़ा का कोई असर नहीं हुआ। मूली ने ललकारते हुए लड़ाई को आगे बढ़ा ही दिया।


मूली-  बता तेरे में कौन-कौन स‌े मिनरल्स होते हैं?
गाजर-(थोड़ा याद करने के बाद) मिनरल्स..। मैं लोगों के शरीर में स‌ोडियम, फॉसफोरस पहुंचाता हूं। और इस प्रकार उनकी हड्डियों को मजबूत करता हूं। उनका वजन स‌ही रखने में मदद करता हूं।....तू भला कौन-कौन स‌े मिनरल्स रखती है?
मूली- (तपाक स‌े उत्तर दिया) मैं पोटेशियम, स‌ोडियम और स‌ल्फर की मालकिन हूं। मांसपेशियों के विकास में स‌हायक हूं। हड्डी भी मजबूत करती हूं।
नेपथ्य स‌े- स‌हजन जो अभी तक खिड़की पर लटका झूला झूल रहा था, दौड़ा आया। लड़ाई बंद कराने की कमान स‌ंभाली।


स‌हजन- अंग्रेज मुझे ड्रम-स्टीक कहते हैं। जो बच्चे लड़ते-झगड़ते हैं और स‌ब्जी खाने में रुचि नहीं लेते , मैं उनकी पिटाई अपनी चाबुक स‌े करता हूं। तुम दोनों लड़ाई बंद करो नहीं तो दो-दो चाबुक तुमलोगों को भी लगाऊंगा।


नेपथ्य स‌े- लड़ाई अभी त्रिकोणीय रूप लेता इसके पहले ही बैंगन ने बीच-बचाव किया और स‌हजन को फिर स‌े खिड़की पर लटका आया। ...देखता क्या है कि हरी मिर्च वहां झगड़ा स‌ुलह कराने पहुंच गयी है।


हरी मिर्च- अरे तुम दोनों बड़े गुणी हो। क्या तुम्हें मालूम है कि तुम दोनों अमीनो एसीड बनाने में बहुत मददगार हो। इससे हृदय,फेफड़ा,लीवर, किडनी स‌ब स्वस्थ रहता है। तुम दोनों ही डाइजेस्टिव जूस पैदा करते हो जिससे भोजन को पचाने में मदद मिलती है। इसलिए तुम दोनों को स‌लाद के रूप में खाया जाता है।मेरी दृष्टि में तो कोई भी कम-बेसी नहीं हो। अब लड़ाई बंद भी करो।


नेपथ्य स‌े- हरी मिर्ची की बात दोनों बड़े ध्यान स‌े स‌ुन रहे थे, क्योंकि वह बड़ी मीठी बतिया रही थी। बच्चे बे-वजह उससे डरते हैं। पर गाजर अब भी हार मानने वाला कहां था। लड़ाई को आगे बढ़ा ही दिया।


गाजर- मेरा हलवा कितना बढ़िया बनता है। क्या बच्चे, क्या बूढ़े स‌ब बड़े चाव स‌े खाते हैं। तू तो बड़ी ही कड़वी, तिक्त है। खाली कैंची की तरह मुंह चलाना जानती है।
मूली- (ने इसका प्रतिवाद किया) मेरा हलवा क्यों बनने जाय। मेरे तो पराठे बनते हैं, पराठे। लोग चटकारे ले-लेकर खाते हैं...और बल्ले-बल्ले करते हैं। स‌ुना नहीं कभी- मूली का पराठा।
बैगन- गाजर अभी अपनी अगली विशेषता बताता कि मैम आप आ गयीं। लड़ाई अपने आप बंद हो गयी। 
लौकी मैम- तुम दोनों अपनी-अपनी डायरी लाओ तो। (यह सुनते ही दोनों को स‌ांप स‌ूंघ गया।)
गाजर-मूली- (एक स‌ाथ) स‌ॉरी मैम। ....अब हम कभी नहीं लड़ेंगे।
मैम- (तुरंत पिघल गयीं) ठीक है। मुझे खुशी इस बात की है कि तुम दोनों को अपने-अपने गुणों के बारे में पता तो है। लेकिन तुमलोगों को दूसरे के गुणों को भी देखना चाहिए न कि स‌िर्फ कमियों को। 
     तुम दोनों में बहुत स‌ी स‌मानताएं भी हैं। ..तुम दोनों ही जमीन के भीतर पलते-बढ़ते हो। तुम दोनों के रूप-रंग भले ही अलग-अलग हैं पर तुम दोनों ही मानव स‌माज की स‌ेवा स‌मान भाव स‌े करते हो। उन्हें रेशेदार भोजन उपलब्ध कराते हो। तरह-तरह के विटामिनस् व मिनरलस् देते हो जो मानव शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक है। तुम दोनों को ही स‌लाद के रूप में खाया जाता है। तुम एक ही जननी की स‌ंतान हो। तुम दोनों भाई-बहन हो। 


....पर तुम्हारी इसी लड़ने की प्रवृत्ति के कारण लोग तुम्हें तुच्छ स‌मझते हैं। 


...सुना नहीं लोग कहतेहैं- गाजर-मूली कहीं का, तो कोई गाजर-मूली की तरह काटने की बात करता है। ...पर तुम तुच्छ नहीं हो। तुम ही क्यों, तुम स‌ब स‌ब्जी बहुत ही महत्वपूर्ण हो और स‌दियों स‌े मानव स‌माज की स‌ेवा करते आ रहे हो। इसलिए अपने आपको महत्वपूर्ण स‌मझो, पर स‌ाथ-साथ दूसरों को भी महत्व दो। शालीनता अपने आप में बहुत बड़ी शक्ति है। आज इतना ही। धन्यवाद।
(क्लास खत्म होने की घंटी लग गयी। लौकी मैम ने अपना बैग उठाया और मटकती हुई चली गयीं।)
                                         (पर्दा गिरता है। )
                                               (समाप्त)



Saturday 3 December 2011

दादा जी (बाल कविता)

                                     (चित्रकार- शिवा बसन) 


दादा जी हैं कड़क मिजाज
डर उनसे कुछ लगता है
हो जाय न गड़बड़ काम
भय यह मुझे स‌ताता है।


स‌ुबह उठाते, स‌ैर कराते
रबड़ी-मलाई खिलाते हैं
उलझाते हमें स‌वालों में
रामायण पूरी स‌ुनाते हैं।


गणित पूछो, खूब बताते
व्याकरण के तो पंडित हैं
विज्ञान उनकी नस-नस में
इतिहास अपना स‌ुनाते हैं।


ढेरों स‌ंस्मरण के मालिक वे
क्या वे नहीं बताते हैं
बांट अनुभव गदगद होते
फिर आराम फरमाते हैं।


दादा जी का कोट है कहता
बहुत पुराना स‌ाथी हूं
छड़ी घड़ी और छाता कहता
मैं तो उनका ब्रांड हूं।


चश्मा उनका बड़ा निराला
धोती की क्या शान है
दादाजी तो जीते-जागते
स‌भ्यता की पहचान हैं।


जब दादाजी की स‌ेवा करता
आशीष हमें खूब देते हैं
स‌ादगी उनकी, डांट-नसीहत
अब तो मेरी स‌ंस्कृति है।


दादाजी का कोट-वोट स‌ब
हमें बहुत रुलाता है
दादाजी नस-नस में अब
याद खूब वे आते हैं।
        ***